आजमगढ़ रास्ते के विवाद में हुई मारपीट के मुकदमे में अदालत ने एक आरोपी को सुनाया 10 वर्ष का कारावास
रास्ते के विवाद को लेकर मारपीट के मुकदमे में अदालत ने एक आरोपी को दस वर्ष के कठोर कारावास तथा साढ़े बारह हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।जबकि इसी मामले में चार आरोपियों को मामूली मारपीट का दोषी पाते हुए छ महीने के प्रोबेशन पर रिहा कर दिया। वही मुकदमे में दो महिला आरोपियों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। अभियोजन कहानी के अनुसार वादी मुकदमा रमेश पांडेय पुत्र रघुनाथ पांडेय निवासी जियापुर थाना तरवां के गांव में 11 नवंबर 1985 को सुबह दस बजे वादी मुकदमा के साझे की जमीन में सड़क बन रही थी। इसी सड़क को गांव के रमापति उर्फ नन्हकू पुत्र केदार ने रोक दिया।इसी बात को लेकर विवाद बढ़ गया।तब रमापति, रामप्यारे, चंद्रभूषण, राजेंद्र ,रामधनी ,रामलाल, ओमप्रकाश, एक नाबालिग, श्यामा,बिंदु तथा द्रोपदी ने वादी मुकदमा तथा उसके भाइयों को बुरी तरह से मारा पीटा। दौरान मुकदमा आरोपी रमापति, राजेंद्र तथा द्रोपदी की मृत्यु हो गई। अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता विक्रम सिंह पटेल ने कुल सात गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी रामप्यारे को दस वर्ष के कठोर कारावास तथा साढ़े बारह हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। जबकि आरोपी चंद्रभूषण ,रामधनी ,ओम प्रकाश तथा रामलाल को मामूली मारपीट का दोषी पाते हुए उन्हें छह महीने के प्रोबेशन पर रिहा करने का आदेश दिया।वही पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में आरोपी श्यामा देवी तथा बिंदु को दोषमुक्त कर दिया।