जब कराह रही थी इंसानियत तो आए रसूल
प्रेमप्रकाश दुबे की रिपोर्ट
निजामाबाद आजमगढ़। कस्बे में जगह जगह हर मुहल्लों में ईद मिलादुन्नबी का जश्न कड़ी सुरक्षा के बीच हर्षोल्लास से मनाया गया।नारे तकबीर अल्लाह हू अकबर से निजामाबाद कस्बा गूंज उठा।मौलाना ने बताया कि आज से लगभग 1463 वर्ष पहले प्यारे नबी सल्ललाहो अलैहे वसल्लम मक्का की सर जमी पर पैदा हुए।जब इंसान इंसान के खून का प्यासा बना हुआ था और जुल्म अपने चरम सीमा पर थी गरीबों का कोई सहारा नहीं था। समाज में औरतों का कोई मकाम नही था।बच्चियों को लोग जिंदा दफन कर देते ही। पूरी इंसानियत सिसक रही थीं अल्लाह तआला ने हुजूरे पाक नवी सल्ला वसल्लम को पूरी दुनिया का रहम तें आलम बनाकर भेजा।आप सल्लाहो अलैहे वसल्लम ने 23 साल की मुद्दत में एक ऐसा इंकलाब बरपा जिसकी मिसाल आज तक दुनिया में पेश नहीं कर सकी और न ही कर सकते हैं।इसी खुशी में पूरी दुनियां जुलूस निकालकर और जलसा करके अपनी खुशी का इजहार करते हैं।हजरत मोहम्मद साहब की यौम, ए, पैदाइश का पर्व ईद ए मिलादुन्नबी बृहस्पतिवार को धूम धाम से मनाया गया।इसी क्रम में जगह जगह तकरीरों का दौर चला। सीरते पाक के जलसे हुए।कुराने पाक की तिलावत हुई।और नाते पाक तकरीरें हुई।मिलादुन्नबी पर उलेमा और मौलाना मोहमद साहब की सुन्नतो के जीवन पर प्रकाश डाली गई।अकीदतमंद इबादत के साथ ही कब्रिस्तान में दुरुद सलाम पढ़ने और फातेहा ख्वानी की गई।लोग चांद देखते ही मोहम्मद साहब के जन्म दिन की याद में मशगूल हो गए थे।ये त्यौहार उर्दू के चांद की 12 तारीख को मनाते हैं। इस अवसर पर निजामाबाद में हसानुल मस्जिद से जुलूसे मुहम्मदी मु0 नदीम के नेतृत्व में निकाला गया।जिसमे मुहम्मद साहब के शान में नातिया कलाम पढ़ते हुए जुलूस पूरे नगर का भ्रमण करते हुए पुनः क्रय विक्रय समिति निजामाबाद के सामने स्थित हसानूल मस्जिद पर समाप्त हुआ।प्रशासन के लोग सुरक्षा जुलूस के आगे पीछे चल रहे थे।