पुत्र के दीर्घायु के लिए निराजल व्रत आज बाजारों में थी भारी भीड़।
प्रेमप्रकाश दुबे की रिपोर्ट
निजामाबाद आजमगढ़।हिंदू धर्म में जीउतिया व्रत का बहुत अधिक महत्व है।इस व्रत में महिलाएं संतान के लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है।इस व्रत को जीउतिया वा जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है।यह व्रत लगातार तीन दिन तक चलता है। हर वर्ष अश्विन मास के कृष्णपक्ष से इस व्रत की शुरुआत हो जाती है और व्रत का समापन अश्विन मास के कृष्णपक्ष की नवमी पर होता है।जीवित्पुत्रिका का व्रत संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु की कामना के साथ किया जाता है।धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं। जीउतिया व्रत की शुरुआत नहाए,खाय से होती है।इस साल 6अक्तूबर दिन शुक्रवार को निर्जला व्रत रखा जायेगा और 7 अक्तूबर दिन शनिवार को व्रत का पारण किया जायेगा।इस व्रत को रखने से पहले नोनी का साग खाने की भी परंपरा है।कहते है कि नोनी के साग में कैल्सियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है जिसके कारण व्यक्ति के शरीर को पोषण तत्वों की कमी नहीं होती।इस व्रत के पारन के बाद महिलाएं जीवतीया का लाल रंग का धागा गले में पहनती है।महिलाएं जीउतिया का लाकेट भी धारण करती हैं।पूजा के दौरान सरसो का तेल चढ़ाया जाता है।व्रत पालन के बाद यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद तौर पर लगाते हैं।बाजारों में खरीददारों की भारी भीड़ देखने को मिली महिलाए और पुरुषों ने जीउतीया के त्योहारों को देखते हुए जमकर की खूब खरीददारी।