धूमधाम से मनाया गया विश्वकर्मा पूजनोत्सव
प्रेमप्रकाश दुबे की रिपोर्ट
निजामाबाद आजमगढ़। देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती धूमधाम से श्रद्धापूर्वक मनाई गई।सभी छोटे बड़े उद्योग लघु उद्योग,व्यवसायिक प्रतिष्ठानों,कल कारखानों,लोहे की दुकानों आई टी आई एवम पालीटेक्निक संस्थानों में एवम लोहे के काम करने वाले लोगों ने भगवान विश्वकर्मा की जयंती धूमधाम से मनाई।इस अवसर पर कस्बे में जगह जगह भगवान विश्वकर्मा की भव्य झांकी निकाली गई।विश्वकर्मा जयंती पर साइकिल,मोटरसाइकिल बनाने की दुकानों,बिल्डिंग आदि लोहे के कारोबारियों वाहन बनाने वाले मैकेनिको द्वारा विश्वकर्मा जयंती हर्षोल्लास पूर्वक मनाई गई।मोटर गैराजों,दुकानों प्रतिष्ठानों की विधिवत साफ सफाई की गई।इस मौके पर भजन कीर्तन अखंड रामायण पाठ भी रखा गया।पूजनोत्सव के उपरांत प्रसाद वितरण एवम भंडारे का आयोजन किया गया।कई स्थानों उनकी प्रतिमा स्थापित करके पूजा अर्चना की गई।इसके साथ ही कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।इन सभी कार्यक्रमों में लोगों ने चढ़ बढ़ कर अपनी सहभागिता दर्ज कराई।हिंदू धर्म में सभी व्रत उपवास हिंदू पंचांग के अनुसार ही मनाया जाता है लेकिन विश्वकर्मा पूजा एक त्यौहार ऐसा है जो हर साल 17 सितंबर को ही मनाया जाता है।भगवान विश्वकर्मा के बारे में ऐसी मान्यता है कि पौराणिक काल में देवताओं के अस्त्र शस्त्र और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था।भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता भी माना गया है।भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका, पुष्पक विमान, इंद्र का वज्र,भगवान शिव का त्रिशूल,पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर और भगवान कृष्ण की नगरी द्वारिका को बनाया था।भगवान विश्वकर्मा को शिल्प में गजब की महारथ हासिल थी।जिसके कारण उन्हें शिल्पकला का जनक माना जाता है।ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है।धन, धान्य और सुख समृद्धि की अभिलाषा रखने वालों के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना आवश्यक और मंगल दाई है।