Azamgarh हत्या के मुकदमे में अदालत ने एक आरोपी को पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई
गैर इरादतन हत्या के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने एक आरोपी को पांच वर्ष के कठोर कारावास तथा बीस हजार रूपए अर्थदंड की सजा सुनाई।जबकि पर्याप्त सबूत के अभाव में दो आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया।यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 3 जैनेंद्र कुमार पांडेय ने मंगलवार को सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार कंधरापुर थाना क्षेत्र के कपसा गांव में गोरख दूबे 17 अक्टूबर 2003 की शाम लगभग छह बजे घरेलू काम से गांव के फौजदार के घर जा रहे थे।तभी रास्ते में आरोपी चंद्रभान उर्फ झगरू,कल्पनाथ तथा राधे गांव के ही इंद्रदेव की मां को कूड़ा हटाने के विवाद में मार रहे थे।जब गोरख दूबे ने हमलावरो को मारने से मना किया तब नाराज हमलावरों ने गोरख दुबे को लाठी डंडे से बुरी तरह से मारापीटा।घायल गोरख दुबे को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से बेहतर इलाज के लिए उन्हें वाराणसी भेजा गया। इलाज के दौरान 18 अक्टूबर को बीएचयू में गोरख दुबे की मृत्यु हो गई। पुलिस से जांच पूरी करने के बाद तीनों आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत किया ।अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता दीपक मिश्रा ने कुल आठ गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया।दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी चंद्रभान उर्फ झगरू को पांच वर्ष के कठोर कारावास तथा बीस हजार रूपए अर्थदंड की सजा सुनाई। जबकि पर्याप्त सबूत के अभाव में आरोपी कल्पनाथ तथा राधे यादव को दोषमुक्त कर दिया।