तेरा तुझको अर्पण श्रद्धा भाव से पितरों की विदाई
प्रेमप्रकाश दुबे की रिपोर्ट
निजामाबाद आजमगढ ।सर्वपितृ विसर्जन की अमावस्या तिथि पर बुधवार को श्रद्धालुओं ने मन में तेरा तुझको अर्पण का भाव रखकर श्रद्धा पूर्वक पितरों को विदा किया । ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर धरती पर आते हैं और अपने परिजनों द्वारा तर्पण वा पिंडदान के बाद आशीर्वाद देकर वापस लौटते है।पितृ पक्ष में इस मौके पर आस्थावान लोग नदी तट,सरोवरों के किनारे तथा अपने घरों पर यथा शक्ति अनुष्ठान कर पितृपक्ष का कार्यक्रम संपन्न किया। पितृ पक्ष में लोग तिथि के अनुसार अपने पितरों का पिंडदान कर ब्राह्मणों को भोजन उपरांत यथा शक्ति दान देते हैं। किन्ही कारणों से तिथि के दिन पितरों का पिंडदान ना करने पर लोग अमावस्या के दिन पिंडदान कर ब्राह्मणों को भोजन आदि कराते हैं । पितृ पक्ष के अंतिम दिन बुधवारको तमसा नदी के तट पर स्थित शिवालाघाट पर जुटे अस्थावानो ने कर्मकांड के ज्ञाता पुरोहित द्वारा कराए गए वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धा पूर्वक पिंडदान किया।इन दिनों नदी का जलस्तर बढ़ने से पिंडदान करने वालों को बारिश के कारण हुए जल जमाव के कारण स्थानाभाव के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।सुबह से ही लोग पिंडदान की पूरी तैयारी कर नदी तट पर पहुंचने लगे थे। वहां मौजूद पुरोहित द्वारा बारी बारी से लोगो को कतार में बैठाकर पिंडदान से संबंधित अनुष्ठान कराया जा रहा था। तमाम लोग अपने कुल पुरोहित के माध्यम से त्रिपिंडी एवम नारायण बलि का अनुष्ठान कराते हुए अपने पितरों को स्मरण किए।श्रद्धालुओ ने पिंडदान क्रिया संपन्न कराने के बाद यथाशक्ति पुरोहित को दान कर उनके चरण छू कर आशीर्वाद लिया और अपने घर पहुंचे।मान्यता है कि नारायण बलि वा त्रिपिंडी उन पितरों के लिए किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु होती है,जिसके कारण उनकी आत्मा भटकती रहती है।इस क्रिया को करने से पितरों की भटकती आत्मा को शांति मिलती है।नदी, जलाशय आदि से क्रिया करने के उपरांत लोगो ने घर पर श्रद्धा पूर्वक बनाए गए स्वादिष्ट पकवानों को पितरों के रूप में मान्य स्वान, कागा,और गौमाता को पितरों के नाम पर निकाले गए भोजन को ग्रहण करा कर खुद सुस्वादु व्यंजनों का आनंद लिया।